कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी नागरिकता कानून पर कपिल सिब्बल की बात का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक रूप से राज्यों के लिए इस कानून को न मानना मुश्किल होगा।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री खुर्शीद ने कहा, ”संवैधानिक रूप से राज्य सरकार के लिए यह कहना मुश्किल होगा कि’ हम संसद द्वारा पारित कानून का पालन नहीं करेंगे।’ अगर सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता है तो यह कानून की किताब पर बना रहेगा। यदि कुछ कानून की किताब पर है तो आपको कानून का पालन करना पड़ेगा, अन्यथा इसके अलग परिणाम हो सकते हैं।”
खुर्शीद ने कहा कि इस कानून को लेकर अब केवल सुप्रीम कोर्ट ही कुछ कर सकता है। उन्होंने कहा, ”जहां तक इस कानून की बात है यह एक ऐसा मामला है जहां राज्य सरकारों का केंद्र के साथ बेहद गंभीर मतभेद है। इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले की प्रतीक्षा करेंगे। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तय करेगा और तब तक जो कुछ कहा गया / किया गया / नहीं किया गया वो सब अस्थाई और अनिश्चित है।”
सिब्बल ने क्या कहा था?
शनिवार को केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री और वरिष्ठ लकील कपिल सिब्बल ने कहा, “जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं। मगर संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, ज्यादा समस्याएं पैदा कर सकता है।”
कई राज्य कर रहे हैं विरोध
गौरतलब है कि 10 जनवरी से देश भर में नागरिकता कानून लागू हो चुका है। कई गैर भाजपा शासित राज्यों में नागरिकता कानून को अपने यहां लागू करने से इनकार किया है। केरल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएए के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) का विरोध किया है।
CAA लागू करने से इनकार नहीं कर सकते राज्य: कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल
पूर्व केंद्रीय मंत्री, जानेमाने वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) संसद में पारित हो चुका है और अब कोई राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा करना ‘असंवैधानिक’ होगा.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित इस ख़बर के मुताबिक, कपिल सिब्बल का कहना है, ”सीएए के पास हो जाने के बाद कोई राज्य ये नहीं कह सकता कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा. ये असंभव है और ऐसा करना असंवैधानिक होगा. आप इसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने के लिए कह सकते हैं.”
कपिल सिब्बल के इस बयान से पहले केरल सरकार ने सीएए को संविधान में उल्लेखित समानता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.
पंजाब विधानसभा ने भी सीएए के ख़िलाफ़ सदन में प्रस्ताव पारित किया था. केरल और पंजाब की तरह राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की सरकारों ने भी सीएए का विरोध करते हुए कहा है कि वो इसे लागू नहीं करेंगी.
सीएए के विरोध में बीते लगभग एक महीने से दिल्ली के शाहीन बाग़ में बड़ी संख्या में लोग धरने पर बैठे हैं. शाहीन बाग़ की तर्ज़ पर भारत के कुछ अन्य शहरों में भी लोगों ने सीएए का विरोध किया है.