इससे पहले नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं लेकिन अभी किसी पर भी सुनवाई नहीं हुई है.
- CAA के समर्थन में SC में याचिका
- CJI बोले- मुश्किल वक्त से गुजर रहा देश
- हिंसा रुकने के बाद ही होगी सुनवाई: SC
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) को संवैधानिक करार देने के लिए एक याचिका दायर की गई. इस दौरान चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कड़ी टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी देश काफी मुश्किल वक्त से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह की याचिकाएं दाखिल करने से कुछ फायदा नहीं होगा.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, ‘देश अभी मुश्किल दौर से गुजर रहा है. ऐसे में इस वक्त हर किसी का लक्ष्य शांति स्थापित करना होना चाहिए. इस तरह की याचिकाओं से कोई मदद नहीं मिलेगी. इस कानून के संवैधानिक होने पर अभी अनुमान लगाया जा रहा है’.
चीफ जस्टिस ने इस दौरान ये भी कहा कि हम कैसे घोषित कर सकते हैं कि संसद द्वारा अधिनियम संवैधानिक है? हमेशा संवैधानिकता का अनुमान ही लगाया जा सकता है.
Supreme Court to lawyer Vineet Dhanda who filed plea seeking strict legal action against 'those disturbing peace and harmony over Citizenship Amendment Act' : Country is going through a critical time, the endeavour must be to bring peace and such petitions don’t help. pic.twitter.com/R8ymEIBDcT
— ANI (@ANI) January 9, 2020
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ जो भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उनकी सुनवाई तभी शुरू होगी जब हिंसा पूरी तरह से रुक जाएगी. वकील विनीत ढांडा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि CAA को संवैधानिक घोषित किया जाए. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने की.
बता दें कि इससे पहले नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं लेकिन अभी किसी पर भी सुनवाई नहीं हुई है.
केंद्र को पहले ही भेजा जा चुका है नोटिस
बता दें कि मोदी सरकार के द्वारा लाए गए इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दर्जनों याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई नेताओं, संगठनों ने सर्वोच्च अदालत में CAA को गैर-संवैधानिक करार देने की अपील की थी.
इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा था और सरकार का पक्ष मांगा था. सर्वोच्च अदालत की ओर से केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था.
कानून के खिलाफ लगातार हो रहा है विरोध
नागरिकता संशोधन एक्ट के मुताबिक, बांग्लादेश-पाकिस्तान-अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. विपक्ष समेत कई संगठन इस कानून को संविधान विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी बता रहे हैं. इस कानून के खिलाफ पिछले कई दिनों से देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है, इस दौरान हुई हिंसा में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.